कटेगी कैसे हमारी वहाँ पे जाए बग़ैर
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
कटेगी कैसे हमारी वहाँ पे जाए बग़ैर
चले तो आए हैं 'शारिक़' उसे मनाए बग़ैर
'अजब तरह के मिले रह-गुज़ार-ए-'इश्क़ में लोग
कोई गया ही नहीं रास्ता बताए बग़ैर
उदास हूँ कि मिरा खेल ख़त्म हो ही गया
तमाशबीन की कुछ भी समझ में आए बग़ैर
अब एक जिस्म है और बैन करते कुछ अहबाब
चले गए हैं कहाँ ख़ुद को हम बताए बग़ैर
तुम्हारे हिज्र का एहसान हम पे सद-एहसान
ये तज्रबा किसे होता है मौत आए बग़ैर
चले तो आए हैं 'शारिक़' उसे मनाए बग़ैर
'अजब तरह के मिले रह-गुज़ार-ए-'इश्क़ में लोग
कोई गया ही नहीं रास्ता बताए बग़ैर
उदास हूँ कि मिरा खेल ख़त्म हो ही गया
तमाशबीन की कुछ भी समझ में आए बग़ैर
अब एक जिस्म है और बैन करते कुछ अहबाब
चले गए हैं कहाँ ख़ुद को हम बताए बग़ैर
तुम्हारे हिज्र का एहसान हम पे सद-एहसान
ये तज्रबा किसे होता है मौत आए बग़ैर
98208 viewsghazal • Hindi