ख़ाक मेरी बिखर गई है क्या

By khalid-sajjadJune 30, 2021
ख़ाक मेरी बिखर गई है क्या
आसमाँ तक नज़र गई है क्या
किस लिए तुम उदास फिरते हो
दिल से दुनिया उतर गई है क्या


अपनी मर्ज़ी से दर-ब-दर हूँ मैं
तू बता अपने घर गई है क्या
ऐ सबा जिस तरफ़ है फूल मिरा
ये बता तू उधर गई है क्या


ये जो दिन में बदल गई है रात
ज़ुल्फ़ तेरी सँवर गई है क्या
तेरे माथे पे क्यों पसीना है
ख़्वाब में तू भी डर गई है क्या


इस तरह क्यों उदास बैठे हो
कोई दिल में उतर गई है क्या
सारी दुनिया उलट गई मेरी
तू इधर से उधर गई है क्या


ये जो मंज़िल है पाँव में 'ख़ालिद'
जुस्तुजू काम कर गई है क्या
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