ख़ाली है ज़ेहन ताक़त-ए-गुफ़्तार क्या करे

By akhtar-saeedJune 1, 2024
ख़ाली है ज़ेहन ताक़त-ए-गुफ़्तार क्या करे
है आँख बंद रौज़न-ए-दीवार क्या करे
हम 'अक़्ल दिल के सामने रखते रहे वले
दरिया के आगे रेत की दीवार क्या करे


जी मेरा अब तो मेरी भी सोहबत से तंग है
हर रिश्ता याँ है बाइस-ए-आज़ार क्या करे
हर-सू है काएनात में अपने लहू का रंग
हो चश्म-ए-दिल से दूर तो दीदार क्या करे


कहता हूँ बार बार समझता नहीं कोई
बहरा हो दिल तो बात पे इसरार क्या करे
जुज़ तेग़ दर्द-ए-जाँ का नहीं कोई शय ‘इलाज
ख़ाली है हाथ दीदा-ए-ख़ूँ-बार क्या करे


हर फ़लसफ़े से शौक़ है आज़ाद सर-ब-सर
इक़रार क्या करे यहाँ इंकार क्या करे
उलझे हुए हैं कितने तमन्ना के सिलसिले
ऐ ख़ालिक़-ए-हयात गुनहगार क्या करे


राह-ए-नबी में बच्चे जवाँ-पीर सब गए
खे़मे में तन्हा आबिद-ए-बीमार क्या करे
11655 viewsghazalHindi