ख़ाली सीने में धड़कते हुए आवाज़े से

By maqsood-wafaNovember 5, 2020
ख़ाली सीने में धड़कते हुए आवाज़े से
भर गई उम्र मिरी साँस के ख़ामियाज़े से
मुंतज़िर ही न रहा बाम-ए-तमन्ना पे कोई
और हवा आ के गुज़रती रही दरवाज़े से


शाम-ए-सद-रंग मिरे आइना-ख़ाने में ठहर
मैं ने तस्वीर बनानी है तिरे ग़ाज़े से
मुझ को आया ही नहीं जिस का यक़ीं आज तलक
वो ख़ुदा कितना बड़ा है मिरे अंदाज़े से


और कुछ हाथ न आया तो मिरी आँखों ने
चुन लिए ख़्वाब ही बिखरे हुए शीराज़े से
69544 viewsghazalHindi