ख़मोशी को झिंझोड़ा जा रहा है
By mohammad-ali-mauj-rampuriMarch 20, 2021
ख़मोशी को झिंझोड़ा जा रहा है
हवा में तीर छोड़ा जा रहा है
तिरी तस्वीर के हैं रंग प्यासे
बहारों को निचोड़ा जा रहा है
बना कर दाएरे अंगड़ाइयों के
हिसार-ए-ख़्वाब तोड़ा जा रहा है
पुरानी दास्तानों का तअल्लुक़
नए क़िस्सों से जोड़ा जा रहा है
यूँही अर्ज़ां नहीं हैं ये किताबें
हमारा ज़ेहन मोड़ा जा रहा है
हवा में तीर छोड़ा जा रहा है
तिरी तस्वीर के हैं रंग प्यासे
बहारों को निचोड़ा जा रहा है
बना कर दाएरे अंगड़ाइयों के
हिसार-ए-ख़्वाब तोड़ा जा रहा है
पुरानी दास्तानों का तअल्लुक़
नए क़िस्सों से जोड़ा जा रहा है
यूँही अर्ज़ां नहीं हैं ये किताबें
हमारा ज़ेहन मोड़ा जा रहा है
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