ख़मोशी में गुज़ारा कर रहा हूँ

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
ख़मोशी में गुज़ारा कर रहा हूँ
इसी से शोर पैदा कर रहा हूँ
नया रिश्ता बने इस 'उम्र में क्या
पुराने को पुराना कर रहा हूँ


मिरे रोने पे मुझ को टोकिए मत
कमाई है तो ख़र्चा कर रहा हूँ
मोहब्बत ने दिए जो ज़ख़्म मुझ को
उन्हें नफ़रत से अच्छा कर रहा हूँ


ये दुनिया क्या मिरी नज़रों में आए
बड़े ख़्वाबों का पीछा कर रहा हूँ
सँभलता हूँ तो ये लगता है मुझ को
तुम्हारे साथ धोका कर रहा हूँ


तबीबों में घिरा रहता हूँ 'शारिक़'
मरज़ को जान-लेवा कर रहा हूँ
93751 viewsghazalHindi