ख़ूब रोका शिकायतों से मुझे तू ने मारा इनायतों से मुझे वाजिब-उल-क़त्ल उस ने ठहराया आयतों से रिवायतों से मुझे कहते क्या क्या हैं देख तो अग़्यार यार तेरी हिमायतों से मुझे क्या ग़ज़ब है कि दोस्त तू समझे दुश्मनों की रिआयतों से मुझे दम-ए-गिर्या कमी न कर ऐ चश्म शौक़ कम है किफ़ायतों से मुझे कमी-ए-गिर्या ने जला मारा हुआ नुक़साँ किफ़ायतों से मुझे ले गई इश्क़ की हिदायत 'ज़ौक़' उन कने सब निहायतों से मुझे