ख़ुद से गुज़रे तो क़यामत से गुज़र जाएँगे हम यानी हर हाल की हालत से गुज़र जाएँगे हम आलम-ए-वुसअत-ए-इम्काँ नज़र आएगा हमें यानी हर दूरी ओ क़ुर्बत से गुज़र जाएँगे हम ख़त्म हो जाएगी सब कश्मकश-ए-हर्फ़-ओ-अदद यानी हर मनफ़ी ओ मुसबत से गुज़र जाएँगे हम न मकाँ होगा वजूद और न ज़माँ होगा अदम यानी हर तंगी ओ वुसअत से गुज़र जाएँगे हम आलम-ए-हू दिल-ए-बीना को नज़र आएगा हसरत ओ वहशत ओ हैरत से गुज़र जाएँगे हम