ख़ुद से ख़ुदी के ऐब छुपाना फ़ुज़ूल है

By dinesh-kumar-drounaFebruary 17, 2021
ख़ुद से ख़ुदी के ऐब छुपाना फ़ुज़ूल है
यूँ आईने को आँख दिखाना फ़ुज़ूल है
एहसास को मज़ाक़ बनाना फ़ुज़ूल है
तुम को तो दिल की बात बताना फ़ुज़ूल है


पानी से दिल की आग बुझाना फ़ुज़ूल है
ऐ शख़्स आँसुओं में नहाना फ़ुज़ूल है
मुमकिन है नींद नींद न हो कर बहाना हो
वो सो नहीं रहा तो जगाना फ़ुज़ूल है


उस ने जो ठान ही ली अगर ख़ुद-कुशी की तो
फिर तो उसे उसी से बचाना फ़ुज़ूल है
हम लाख तजरबों से यही कह रहे हैं अब
इक-तरफ़ा रब्त हो तो निभाना फ़ुज़ूल है


जल्वा-नुमा हैं आप अगर ख़्वाब ही में तो
फिर तो हमारा होश में आना फ़ुज़ूल है
है ये तक़ाज़ा रस्म-ए-अदब का वगर्ना तो
मैं जानता हूँ हाथ मिलाना फ़ुज़ूल है


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