ख़्वाब सुनने से गए इश्क़ बताने से गए

By mubashshir-saeedNovember 10, 2020
ख़्वाब सुनने से गए इश्क़ बताने से गए
ज़िंदगी हम तिरी तौक़ीर बढ़ाने से गए
घर के आँगन में लगा पेड़ कटा है जब से
हम तिरी बात परिंदों को सुनाने से गए


जुज़ तुझे देखने के और नहीं था कोई काम
ये अलग बात किसी और बहाने से गए
जब से वहशत ने नई शक्ल निकाली अपनी
हम जुनूँ-ज़ाद किसी दश्त में जाने से गए


वक़्त पर उस ने पहुँचने का कहलवाया था
हम ही ताख़ीर से पहुँचे सो ठिकाने से गए
आसमाँ रोज़ मिरे ख़्वाब में आ जाता है
हम ख़यालों में हसीं चाँद बनाने से गए


दिल की तन्हाई में वहशत की दराड़ें हैं 'सईद'
हम दराड़ों में तिरा हिज्र बसाने से गए
33570 viewsghazalHindi