खिल उठे सुख के फूल चारों तरफ़

By hina-ambareenFebruary 6, 2024
खिल उठे सुख के फूल चारों तरफ़
आए जब जब रसूल चारों तरफ़
फिर मोहब्बत ने बाँहें फैलाईं
फिर रहे थे मलूल चारों तरफ़


माँ की आहें ज़रूर लगती हैं
आह-ए-बिन्त-ए-रसूल चारों तरफ़
एक कुन की सदा की मार हैं सब
होगा हक़ का नुज़ूल चारों तरफ़


हम बगूलों की नज़्र हो गए थे
और उड़ती थी धूल चारों तरफ़
मैं ने फूलों के ख़्वाब देखे थे
क्यों उग आए बबूल चारों तरफ़


उस नज़र के जवाब में गूँजी
इक सदा-ए-क़ुबूल चारों तरफ़
जाने वालों ने 'अह्द तोड़ दिए
बन गए थे उसूल चारों तरफ़


अदब-आदाब खो गए हैं कहीं
बन रहे हैं सकूल चारों तरफ़
42838 viewsghazalHindi