ख़ुद अपने वास्ते क्या क्या सुख़न बनाते हैं
By salim-saleemFebruary 28, 2024
ख़ुद अपने वास्ते क्या क्या सुख़न बनाते हैं
किसी की ज़ुल्फ़ को जब पुर-शिकन बनाते हैं
ग़ज़ाल-ए-शाम-ओ-सहर यूँही रम किए जाएँ
हम अपने सीने को दश्त-ए-ख़ुतन बनाते हैं
उसी की ख़ाक के हम भी बने हुए हैं मियाँ
ये चाक है चलो उस का बदन बनाते हैं
ये लोग भागे हुए हैं तिरे विसाल से क्या
जो तेरे हिज्र को अपना वतन बनाते हैं
हमीं पे पड़ती हैं उन आइनों की बौछारें
तो हम भी उन के लिए बाँकपन बनाते हैं
तमाम 'उम्र की आशुफ़्तगी-ए-जाँ के 'एवज़
किसी के लम्स को अपना कफ़न बनाते हैं
किसी की ज़ुल्फ़ को जब पुर-शिकन बनाते हैं
ग़ज़ाल-ए-शाम-ओ-सहर यूँही रम किए जाएँ
हम अपने सीने को दश्त-ए-ख़ुतन बनाते हैं
उसी की ख़ाक के हम भी बने हुए हैं मियाँ
ये चाक है चलो उस का बदन बनाते हैं
ये लोग भागे हुए हैं तिरे विसाल से क्या
जो तेरे हिज्र को अपना वतन बनाते हैं
हमीं पे पड़ती हैं उन आइनों की बौछारें
तो हम भी उन के लिए बाँकपन बनाते हैं
तमाम 'उम्र की आशुफ़्तगी-ए-जाँ के 'एवज़
किसी के लम्स को अपना कफ़न बनाते हैं
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