ख़ुद चले आओ यहाँ या कि सदा दो हम को
By khalilur-rahman-azmiFebruary 27, 2024
ख़ुद चले आओ यहाँ या कि सदा दो हम को
हम गुनहगार तुम्हारे हैं दु'आ दो हम को
क्या करें हम से ये होती नहीं दुनिया-दारी
हम जो दुनिया के नहीं हैं तो मिटा दो हम को
हम तुम्हारे हैं तुम्हारे ही क़रीब आ बैठे
हूँ जो गुस्ताख़ तो महफ़िल से उठा दो हम को
दामन-ए-क़ैस सही दामन-ए-यूसुफ़ न सही
अब तो ये चाक है जो चाहे सज़ा दो हम को
अपनी ही राख में ये आग न कजला जाए
अब लगाई है तो आँचल की हवा दो हम को
ये भी हम भूल गए नाम हमारा क्या था
पूछ कर गर्दिश-ए-दौराँ से बता दो हम को
या हमें क़ैद करो महबस-ए-तन्हाई में
या उसी दुश्मन-ए-जानी से मिला दो हम को
जिन को आँखों से लगाया तो हमें छोड़ गए
उन्हीं चेहरों उन्हीं ख़्वाबों का पता दो हम को
हम गुनहगार तुम्हारे हैं दु'आ दो हम को
क्या करें हम से ये होती नहीं दुनिया-दारी
हम जो दुनिया के नहीं हैं तो मिटा दो हम को
हम तुम्हारे हैं तुम्हारे ही क़रीब आ बैठे
हूँ जो गुस्ताख़ तो महफ़िल से उठा दो हम को
दामन-ए-क़ैस सही दामन-ए-यूसुफ़ न सही
अब तो ये चाक है जो चाहे सज़ा दो हम को
अपनी ही राख में ये आग न कजला जाए
अब लगाई है तो आँचल की हवा दो हम को
ये भी हम भूल गए नाम हमारा क्या था
पूछ कर गर्दिश-ए-दौराँ से बता दो हम को
या हमें क़ैद करो महबस-ए-तन्हाई में
या उसी दुश्मन-ए-जानी से मिला दो हम को
जिन को आँखों से लगाया तो हमें छोड़ गए
उन्हीं चेहरों उन्हीं ख़्वाबों का पता दो हम को
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