ख़ुद को अब कोई तमाशा नहीं होने देंगे
By salim-saleemFebruary 28, 2024
ख़ुद को अब कोई तमाशा नहीं होने देंगे
हम तुम्हें शहर में रुस्वा नहीं होने देंगे
जिस्म की रेत पर उस ने जो लगाए हैं निशाँ
मेरे नाख़ुन इन्हें धुँदला नहीं होने देंगे
ख़्वाहिश-ए-कार-ए-मसीहाई बहुत है लेकिन
ज़ख़्म-ए-दिल हम तुझे अच्छा नहीं होने देंगे
कुछ तो क़ुर्बत भी तिरी रास नहीं आएगी
और कुछ लोग भी ऐसा नहीं होने देंगे
मुझ को मा'लूम है मुझ में न ठहरने वाले
मेरे अंदर मिरा होना नहीं होने देंगे
हम तुम्हें शहर में रुस्वा नहीं होने देंगे
जिस्म की रेत पर उस ने जो लगाए हैं निशाँ
मेरे नाख़ुन इन्हें धुँदला नहीं होने देंगे
ख़्वाहिश-ए-कार-ए-मसीहाई बहुत है लेकिन
ज़ख़्म-ए-दिल हम तुझे अच्छा नहीं होने देंगे
कुछ तो क़ुर्बत भी तिरी रास नहीं आएगी
और कुछ लोग भी ऐसा नहीं होने देंगे
मुझ को मा'लूम है मुझ में न ठहरने वाले
मेरे अंदर मिरा होना नहीं होने देंगे
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