ख़ुद को इतना भी मत बचाया कर
By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
ख़ुद को इतना भी मत बचाया कर
बारिशें हों तो भीग जाया कर
काम ले कुछ हसीन होंठों से
बातों बातों में मुस्कुराया कर
दर्द हीरा है दर्द मोती है
दर्द आँखों से मत बहाया कर
चाँद ला कर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर
धूप मायूस लौट जाती है
छत पे कपड़े सुखाने आया कर
घर से बाहर निकल हवाओं में
ज़ुल्फ़ से ख़ुशबुएँ उड़ाया कर
कोई तस्वीर कोई अफ़साना
कुछ न कुछ रोज़ ही बनाया कर
कौन कहता है दिल मिलाने को
कम से कम हाथ तो मिलाया कर
बारिशें हों तो भीग जाया कर
काम ले कुछ हसीन होंठों से
बातों बातों में मुस्कुराया कर
दर्द हीरा है दर्द मोती है
दर्द आँखों से मत बहाया कर
चाँद ला कर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर
धूप मायूस लौट जाती है
छत पे कपड़े सुखाने आया कर
घर से बाहर निकल हवाओं में
ज़ुल्फ़ से ख़ुशबुएँ उड़ाया कर
कोई तस्वीर कोई अफ़साना
कुछ न कुछ रोज़ ही बनाया कर
कौन कहता है दिल मिलाने को
कम से कम हाथ तो मिलाया कर
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