ख़ुदा के इस क़दर नज़दीक जाना पड़ रहा है
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
ख़ुदा के इस क़दर नज़दीक जाना पड़ रहा है
उसे मंसब हमें ईमाँ बचाना पड़ रहा है
जिसे हम ज़िंदगी-भर याद रखना चाहते थे
बहुत तेज़ी से वो चेहरा पुराना पड़ रहा है
रक़ीबो तुम रुको मुमकिन है वो हाथ आ ही जाए
हमें तो ख़ैर जल्दी लौट जाना पड़ रहा है
किसी पर देर से खोला था दिल का राज़ हम ने
किसी को वक़्त से पहले बताना पड़ रहा है
कहाँ ख़ातिर में लाता था वो मेरी सादगी को
उसे पहले का इक चेहरा दिखाना पड़ रहा है
उसे मंसब हमें ईमाँ बचाना पड़ रहा है
जिसे हम ज़िंदगी-भर याद रखना चाहते थे
बहुत तेज़ी से वो चेहरा पुराना पड़ रहा है
रक़ीबो तुम रुको मुमकिन है वो हाथ आ ही जाए
हमें तो ख़ैर जल्दी लौट जाना पड़ रहा है
किसी पर देर से खोला था दिल का राज़ हम ने
किसी को वक़्त से पहले बताना पड़ रहा है
कहाँ ख़ातिर में लाता था वो मेरी सादगी को
उसे पहले का इक चेहरा दिखाना पड़ रहा है
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