ख़ुदा ने तो सब्र आज़माया मिरा

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
ख़ुदा ने तो सब्र आज़माया मिरा
मगर तुम ने क्यों दिल दुखाया मिरा
ग़मों के थे अपने ख़सारे मगर
ख़ुशी ने तो घर बेच खाया मिरा


चला तो मैं शायद क़दम दो क़दम
भरोसा मगर लौट आया मिरा
मिरा हाथ होगा गरेबान पर
कोई कुछ अगर कर न पाया मिरा


छुपा कर हुआ मुझ को ढाने का काम
सो मलबा भी अन्दर गिराया मिरा
कहाँ कब उसे काम में ले लिया
ये क़ातिल नहीं जान पाया मिरा


मिरा जिस्म भी ये नहीं जानता
कहाँ ख़त्म होता है साया मिरा
66804 viewsghazalHindi