ख़ुलूस-ओ-मेहर के साँचे में ढल के देखें तो

By siddiq-fatahpuriFebruary 6, 2022
ख़ुलूस-ओ-मेहर के साँचे में ढल के देखें तो
रह-ए-हयात को अपनी बदल के देखें तो
हसीं हैं और भी इस कार-ज़ार-ए-हस्ती में
हिसार-ए-ज़ात से बाहर निकल के देखें तो


फ़लक से चाँद उतर आएगा ज़मीं पे कभी
शरीर बच्चे की सूरत मचल के देखें तो
उजाले फैलेंगे हस्ती के गोशे गोशे में
मिसाल-ए-शम्अ अंधेरे में जल के देखें तो


वही है ताब-ओ-तवाँ इश्क़ का ज़माने में
करिश्मे आज भी हुस्न-ए-अज़ल के देखें तो
मशाम-ए-जाँ महक उट्ठेंगे उस की ख़ुशबू से
वतन की ख़ाक को चेहरे पे मल के देखें तो


महाज़-ए-जंग पे ढूँडा जिसे वो घर पे मिली
अजब हैं फ़ैसले ये भी अजल के देखें तो
बहार आई है कैसी चमन में हम-नफ़सो
घरों से निकलें गुलिस्ताँ में चल के देखें तो


कलस चमक उठे 'सिद्दीक़' धूप फैल गई
उठें भी ख़्वाब से आँखों को मल के देखें तो
86947 viewsghazalHindi