ख़ून-ए-दिल भी चाहिए तेरी नज़र के साथ साथ

By salim-saleemFebruary 28, 2024
ख़ून-ए-दिल भी चाहिए तेरी नज़र के साथ साथ
इन ख़लाओं में ज़रा सा रंग भरने के लिए
ज़िंदगी की इस कशाकश में बहुत से काम हैं
सारी कोशिश है ये अपनी मौत मरने के लिए


इक ख़ला है जिस में उड़ते रहते हैं हम रात-दिन
कोई जा मिलती नहीं है पाँव धरने के लिए
कार-ए-बेकारी में हैं मसरूफ़ ज़ोर-ओ-शोर से
अब कहाँ फ़ुर्सत हमें आराम करने के लिए


38325 viewsghazalHindi