खून पसीने में हो कर तर बैठ गया

By November 18, 2023
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया इंसाँ है मज़दूर भी थककर बैठ गया गुस्से में वो नाक फुलाकर बैठ गया मेरा उस के बाद मुक़द्दर बैठ गया राज़ की बातें ग़ैरों के मुंह सुन कर लम्हा भर को मैं चकराकर बैठ गया जितने मुंह उससे भी ज़ियादा बातें थी वो थोड़ा क्या मेरे बराबर बैठ गया अपना बोझ भरम ऐसे रक्खा हमने चुप होकर आँखों में सागर बैठ गया रसमन हमने उसको इज़्ज़त बख्शी थी और वह सीधा सर के ऊपर बैठ गया मेरे दिल से तुमको कौन निकालेगा अब दरया में जैसे पत्थर बैठ गया आज मिरे घर क्या तुम आने वाले हो सुब्ह सवेरे कागा छत पर बैठ गया ऐसे मंज़िल पाने के हालात बने बीच सफर में अरशद रहबर बैठ गया ©अरशद रसूल बदायूंनी
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