किधर अबरू की उस के धाक नहीं

By qayem-chaa.ndpuriNovember 12, 2020
किधर अबरू की उस के धाक नहीं
कौन इस तेग़ का हलाक नहीं
मिस्ल-ए-आईना आबरू है तो देख
वर्ना घर में तो अपने ख़ाक नहीं


दे है हम-चश्मी उस से फिर ख़ुर्शीद
क्या भला उस के मुँह पे नाक नहीं
चाहें तौबा की छाँव हम ज़ाहिद
क्या कहें दार-बस्त-ए-ताक नहीं


ख़बर-ए-ग़ैब ख़तरा-ए-दिल है
वर्ना ता-अर्श अपनी डाक नहीं
जिस मुसल्ले पे छिड़किए न शराब
अपने आईन में वो पाक नहीं


यूँ तो ताइब हैं मय से हम भी प शैख़
गर पिलावे कोई तो बाक नहीं
याँ वो मल्बूस ख़ास नईं जूँ गुल
जो क़बा दस जगह से चाक नहीं


'क़ाएम' उस कूचे में फिरे है मगर
अभी कुछ बात ठीक-ठाक नहीं
59636 viewsghazalHindi