किस ने हमारे शह्र पे मारी है रौशनी

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
किस ने हमारे शह्र पे मारी है रौशनी
हर इक मकाँ के ज़ख़्म से जारी है रौशनी
बच-बच के चल रहा हूँ सितारों की चाल से
अब तक मिरे हवास पे तारी है रौशनी


दिल को मोहब्बतों से किया तू ने माला-माल
ख़ुश-बाश तीरगी में उतारी है रौशनी
इक रात हर चराग़ की लौ काट दी गई
और वो भी चुप रहे जिन्हें प्यारी है रौशनी


लज़्ज़त को एक हद पे ठहरने नहीं दिया
तुम ने बदन के पार गुज़ारी है रौशनी
सायों से डर के चीख़ पड़े थे यही तो हैं
इन को भी ज़ो'म है कि हमारी है रौशनी


24789 viewsghazalHindi