किस ने सोचा था कि इस हद तक भी जा सकता हूँ मैं

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
किस ने सोचा था कि इस हद तक भी जा सकता हूँ मैं
मौत से भी 'इश्क़ का चक्कर चला सकता हूँ मैं
मुझ से अच्छा कोई आँसू पोंछने वाला नहीं
साथ रख ले वापसी में काम आ सकता हूँ मैं


वक़्त ने गूँगा किया तो है मगर इतना नहीं
घर अकेला हो तो अब भी गुनगुना सकता हूँ मैं
'इश्क़ में तू जान देने की अगर ज़िद छोड़ दे
रोज़ तुझ को ख़ुदकुशी करना सिखा सकता हूँ मैं


तुम से बढ़ कर कौन दुनिया में मिरे नज़दीक है
इक तुम्हीं तो हो कि जिस का दिल दुखा सकता हूँ मैं
भीड़ का शिकवा हमेशा दूसरों से किस लिए
यार ख़ुद को भी तो रस्ते से हटा सकता हूँ मैं


91297 viewsghazalHindi