किस से बार-ए-ग़म उठा किस ने किसे रुस्वा रखा
By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
किस से बार-ए-ग़म उठा किस ने किसे रुस्वा रखा
भूल जा ये गुज़री बातें हैं अब इन में क्या रखा
एक ऐसा आदमी इस शहर में मौजूद है
मौत के डर के सिवा जिस ने मुझे ज़िंदा रखा
सिर्फ़ झूठे ए'तिराफ़-ए-जुर्म में है बेहतरी
अब के उस ने मेरे सर इल्ज़ाम ही ऐसा रखा
मर गए लेकिन तिरे आने की उम्मीदें रखीं
बुझ गए लेकिन चराग़-ए-आरज़ू जलता रखा
जाने वो झोंका किधर से आया था जिस ने 'जमाल'
हब्स के 'आलम में भी जी को तर-ओ-ताज़ा रखा
भूल जा ये गुज़री बातें हैं अब इन में क्या रखा
एक ऐसा आदमी इस शहर में मौजूद है
मौत के डर के सिवा जिस ने मुझे ज़िंदा रखा
सिर्फ़ झूठे ए'तिराफ़-ए-जुर्म में है बेहतरी
अब के उस ने मेरे सर इल्ज़ाम ही ऐसा रखा
मर गए लेकिन तिरे आने की उम्मीदें रखीं
बुझ गए लेकिन चराग़-ए-आरज़ू जलता रखा
जाने वो झोंका किधर से आया था जिस ने 'जमाल'
हब्स के 'आलम में भी जी को तर-ओ-ताज़ा रखा
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