किसी के हाथ पर तहरीर होना मिरा भी साहब-ए-तक़दीर होना फ़क़त इक ख़्वाब हो कर रह गया है अधूरे ख़्वाब की ताबीर होना निकलना रूह की गहराई से और दुआ का हामिल-ए-तासीर होना ये होना तो है लेकिन कब ये होगा क़बा-ए-ज़र का लीर-ओ-लीर होना हिसार-ए-ज़ब्त से बाहर था वो अश्क जिसे था दर्द की तफ़्सीर होना 'शफ़ीक़' आख़िर है इस पारा-सिफ़त को किसी के सामने तस्वीर होना