किसी के हिज्र की रुत है न ये मलाल की है
By wasim-nadirOctober 6, 2023
किसी के हिज्र की रुत है न ये मलाल की है
हमारे जिस्म पे तारी घुटन विसाल की है
सुलग रहा था किसी की तलब में मुद्दत से
भड़क उठा हूँ तो अब रौशनी कमाल की है
बहुत जवाब थे जिस के तुम्हारी आँखों में
हमारे दिल पे हुकूमत उसी सवाल की है
बहुत दिनों से नया ज़ख़्म मिल नहीं पाया
अज़ीज़-ए-मन ये चमक सारी पिछले साल की है
यक़ीन करने लगा हूँ तिरी मोहब्बत पर
अब इस के बाद जो मंज़िल है वो ज़वाल की है
हमारे जिस्म पे तारी घुटन विसाल की है
सुलग रहा था किसी की तलब में मुद्दत से
भड़क उठा हूँ तो अब रौशनी कमाल की है
बहुत जवाब थे जिस के तुम्हारी आँखों में
हमारे दिल पे हुकूमत उसी सवाल की है
बहुत दिनों से नया ज़ख़्म मिल नहीं पाया
अज़ीज़-ए-मन ये चमक सारी पिछले साल की है
यक़ीन करने लगा हूँ तिरी मोहब्बत पर
अब इस के बाद जो मंज़िल है वो ज़वाल की है
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