किसी की याद में दिल बे-क़रार रहने दे

By bhagwan-khilnani-saqiFebruary 26, 2024
किसी की याद में दिल बे-क़रार रहने दे
तमाम 'उम्र ग़म-ए-इंतिज़ार रहने दे
हमारे दिल के चमन में तो फूल खिल न सके
हमारे ज़ख़्म-ए-जिगर पर बहार रहने दे


वफ़ा तो वो न करेंगे ये जानता हूँ मैं
बे-ए'तिबार पे कुछ ए'तिबार रहने दे
ये अश्क ही तो 'अलामत हैं मेरी चाहत की
तू आँखें यूँही मिरी अश्क-बार रहने दे


कभी तो देखेगा आ कर वो हाल 'साक़ी' का
जुनूँ का पर्दा यूँही तार-तार रहने दे
19785 viewsghazalHindi