किसी तरह की 'इबादत रवा नहीं रखूँगा
By abhishek-shuklaSeptember 1, 2024
किसी तरह की 'इबादत रवा नहीं रखूँगा
सनम रखूँगा मैं दिल में ख़ुदा नहीं रखूँगा
तमाम-'उम्र गुज़ारूँगा आब्यारी में
कुछ इस तरह कि मैं ख़ुद को हरा नहीं रखूँगा
जो आने वाले हों पहले से इत्तिला' करें
कि 'उम्र-भर तो मैं ख़ुद को खुला नहीं रखूँगा
मैं जम के सोऊँगा आउँगा ख़्वाब में मिलने
फ़िराक़ में भी कभी रत-जगा नहीं रखूँगा
सनम रखूँगा मैं दिल में ख़ुदा नहीं रखूँगा
तमाम-'उम्र गुज़ारूँगा आब्यारी में
कुछ इस तरह कि मैं ख़ुद को हरा नहीं रखूँगा
जो आने वाले हों पहले से इत्तिला' करें
कि 'उम्र-भर तो मैं ख़ुद को खुला नहीं रखूँगा
मैं जम के सोऊँगा आउँगा ख़्वाब में मिलने
फ़िराक़ में भी कभी रत-जगा नहीं रखूँगा
94226 viewsghazal • Hindi