कितनी मुश्किल से उस को ढूँडा है

By aqib-jawedJuly 31, 2020
कितनी मुश्किल से उस को ढूँडा है
बे-सबब दिल कहाँ ये टूटा है
अच्छी सूरत का क्या करें चर्चा
अच्छी ख़ुश्बू से फूल बिकता है


उस के बच्चों की ऐसी सीरत है
वैसे ईंटें हैं जैसा खांचा है
उस के वा'दे की क्या मैं बात करूँ
कच्चा धागा भी उस से पक्का है


तेरी ज़ुल्फ़ों से बस रिहा हो कर
मैं ने पिंजरे का दर्द समझा है
जब मैं फूलों को प्यार करता हूँ
मुझ को तितली से प्यार मिलता है


पहले महँगी थी प्यार की दौलत
अब तो दौलत से प्यार सस्ता है
उस की फ़ितरत में बात ऐसी है
जो बुरा है तो वो भी अच्छा है


देखने वाला हो अगर 'आकिब'
ज़ख़्म आँखों में देख सकता है
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