कोई भी रस्म हो सर पर नहीं उठाते हम

By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
कोई भी रस्म हो सर पर नहीं उठाते हम
नमाज़ पढ़ते हैं टोपी नहीं लगाते हम
जो आब पड़ता है ख़ुद ही में जज़्ब करते हैं
बदन को धूप में रख कर नहीं सुखाते हम


दुखों को जीते हैं और जी के ख़ल्क़ करते हैं
अब अपनी मौत पे मातम नहीं मनाते हम
सज़ा मिली है हमें रौशनी में रहने की
कि सोते वक़्त भी बत्ती नहीं बुझाते हम


हर एक राहगुज़र तीरगी में डूबी है
चराग़ घर से निकल कर नहीं जलाते हम
34842 viewsghazalHindi