कुछ भी मंज़िल से नहीं लाए हम
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
कुछ भी मंज़िल से नहीं लाए हम
अपने हिस्से का भटक आए हम
जब त'अल्लुक़ पे चली बात कभी
बे-त'अल्लुक़ से नज़र आए हम
ख़ुश-नुमा यादें ही कितनी सी थीं
उन को भी याद न रख पाए हम
यही होना था हमारा अंजाम
अपने ही पाँव तले आए हम
वही तो हो गए दुश्मन इक दिन
जिन की बातों में नहीं आए हम
अपने हिस्से का भटक आए हम
जब त'अल्लुक़ पे चली बात कभी
बे-त'अल्लुक़ से नज़र आए हम
ख़ुश-नुमा यादें ही कितनी सी थीं
उन को भी याद न रख पाए हम
यही होना था हमारा अंजाम
अपने ही पाँव तले आए हम
वही तो हो गए दुश्मन इक दिन
जिन की बातों में नहीं आए हम
84573 viewsghazal • Hindi