कुछ न कुछ वाक़िआ' सा लगता है

By mujeeb-shehzarJanuary 21, 2022
कुछ न कुछ वाक़िआ' सा लगता है
बच्चा बच्चा डरा सा लगता है
फिर कोई हादिसा न हो जाए
वक़्त ठहरा हुआ सा लगता है


साफ़-गोई पसंद कब है उसे
साफ़ कहना बुरा सा लगता है
ज़ेहन में नूर जब बिखरते हैं
संग भी आइना सा लगता है


वो अकेला ज़रूर है लेकिन
उस में इक क़ाफ़िला सा लगता है
जो मुक़ाबिल है उस से 'शहज़र' का
रिश्ता कुछ ख़ून का सा लगता है


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