कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा

By abdul-rahman-ehsan-dehlviApril 24, 2024
कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा
जी ले ही के जावेगा ये आज़ार हमारा
कूचे से तिरे कूच है ऐ यार हमारा
जी ले ही चली हसरत-ए-दीदार हमारा


तू हम को उठा लीजियो उस वक़्त इलाही
जिस वक़्त उठे पहलू से दिलदार हमारा
यारा है कहाँ इतना कि इस यार को यारो
मैं ये कहूँ ऐ यार है तू यार हमारा


हम पादशह-ए-मुम्लिकत-ए-इश्क़ हैं नाहक़
मंसूर सा मारा गया सरदार हमारा
कह दीजियो मकहूली को ऐ गर्दिश-ए-तालेअ'
हाँ जल्दी से ला तख़्त-ए-हवा-दार हमारा


अबरू की तिरी बैत की क्या बात व-लेकिन
है आह का मिस्रा भी धुआँ-दार हमारा
'एहसाँ' तू ग़ज़ल फ़ारसी ही अपनी कहा कर
दिल रेख़्ता तेरे से है बेज़ार हमारा


96504 viewsghazalHindi