क्या गुज़र कीजिए सय्याद-ए-दिल-आज़ार के पास
By abdul-hadi-wafaApril 23, 2024
क्या गुज़र कीजिए सय्याद-ए-दिल-आज़ार के पास
बर्ग-ए-गुल फेंकता है मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार के पास
तेरे बीमार की बालीं पे खड़ी है हसरत
मौत बैठी नज़र आती है वो ग़म-ख़्वार के पास
बार बार आ के वो ठहराते हैं सौदा दिल का
घर उन्हों ने जो बनाया है तो बाज़ार के पास
शाख़-ए-गुल देख के सामान-ए-ख़लिश याद आया
रख दिया पारा-ए-दिल दिल को हर इक ख़ार के पास
तेरे दरवाज़ा पे फ़ित्नों ने लिया दम आ कर
थक के बैठी है क़यामत तिरी दीवार के पास
ज़ाहिदा रहमत-ए-बारी भी ब-रंग-ए-तौबा
आ गई टूट के रिंदान क़दह-ख़्वार के पास
मेरी ख़्वारी ही क़यामत में मिरे काम आई
कोई आया न 'वफ़ा' मुझ से गुनहगार के पास
बर्ग-ए-गुल फेंकता है मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार के पास
तेरे बीमार की बालीं पे खड़ी है हसरत
मौत बैठी नज़र आती है वो ग़म-ख़्वार के पास
बार बार आ के वो ठहराते हैं सौदा दिल का
घर उन्हों ने जो बनाया है तो बाज़ार के पास
शाख़-ए-गुल देख के सामान-ए-ख़लिश याद आया
रख दिया पारा-ए-दिल दिल को हर इक ख़ार के पास
तेरे दरवाज़ा पे फ़ित्नों ने लिया दम आ कर
थक के बैठी है क़यामत तिरी दीवार के पास
ज़ाहिदा रहमत-ए-बारी भी ब-रंग-ए-तौबा
आ गई टूट के रिंदान क़दह-ख़्वार के पास
मेरी ख़्वारी ही क़यामत में मिरे काम आई
कोई आया न 'वफ़ा' मुझ से गुनहगार के पास
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