क्या कहेगा कभी मिलने भी अगर आएगा वो
By ajmal-sirajMay 30, 2024
क्या कहेगा कभी मिलने भी अगर आएगा वो
अब वफ़ादारी की क़स्में तो नहीं खाएगा वो
हम समझते थे कि हम उस को भुला सकते हैं
वो समझता था हमें भूल नहीं पाएगा वो
कितना सोचा था पर इतना तो नहीं सोचा था
याद बन जाएगा वो ख़्वाब नज़र आएगा वो
सब के होते हुए इक रोज़ वो तन्हा होगा
फिर वो ढूँडेगा हमें और नहीं पाएगा वो
इत्तिफ़ाक़न जो कभी सामने आया 'अजमल'
अब वो तन्हा तो न होगा जो ठहर जाएगा वो
अब वफ़ादारी की क़स्में तो नहीं खाएगा वो
हम समझते थे कि हम उस को भुला सकते हैं
वो समझता था हमें भूल नहीं पाएगा वो
कितना सोचा था पर इतना तो नहीं सोचा था
याद बन जाएगा वो ख़्वाब नज़र आएगा वो
सब के होते हुए इक रोज़ वो तन्हा होगा
फिर वो ढूँडेगा हमें और नहीं पाएगा वो
इत्तिफ़ाक़न जो कभी सामने आया 'अजमल'
अब वो तन्हा तो न होगा जो ठहर जाएगा वो
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