क्या मिलेगा सुकूँ कि वहशत है हो के बेकल फिरूँ कि वहशत है किसी जानिब भी दिल नहीं लगता इश्क़ है या जुनूँ कि वहशत है दौड़ता हूँ इधर-उधर कैसे बे-क़रारी है चूँ-कि वहशत है काटती है ये झोंपड़ी मुझ को उस की जानिब चलूँ कि वहशत है ये मिरा इज़्तिराब है क्या है है ये हाल-ए-ज़बूँ कि वहशत है है ये कोई फ़ुसूँ कि वहशत है कुछ परेशान हूँ कि वहशत है