लगता है जैसे प्यार में शिद्दत बदल गई

By abdullah-minhaj-khanMay 18, 2024
लगता है जैसे प्यार में शिद्दत बदल गई
पहले थी जैसी मेरी वो हालत बदल गई
जो रोज़ खुल के सब को खिलाता था रात दिन
आई ख़िज़ाँ तो उस की भी रंगत बदल गई


बहने लगा वो बहती हवाओं के साथ साथ
वो बद-नसीब जिस की मोहब्बत बदल गई
ऐसी चली थी ज़ुल्म की आँधी हर इक तरफ़
जो सामने थी सब के हक़ीक़त बदल गई


हाकिम की मस्लहत का ज़रा साथ क्या मिला
जो थे शरीफ़ उन की शराफ़त बदल गई
वो पहले हम को ख़ूब सताता था फ़ोन पर
बदला वो जब तो उस की शिकायत बदल गई


वो शहर जिस में रहते थे 'मिनहाज' हम कभी
छोड़ा जो हम ने उस की नज़ाकत बदल गई
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