लालच कुछ और दो कि फ़क़त दीद क्या करें
By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
लालच कुछ और दो कि फ़क़त दीद क्या करें
कपड़े नए पहन लें मगर 'ईद क्या करें
हम हैं शिकार-गाह में आलम-पनाह की
आलम-पनाह आप की तन्क़ीद क्या करें
सूरज उगा के रख दें क़िले की फ़सील पर
हर रात इक बयान की तरदीद क्या करें
सामान-ए-जाँ समेटें कि इतना नहीं है वक़्त
आँधी को दूर रहने की ताकीद क्या करें
मेरे नहीं सही मगर अच्छे हो सब से तुम
अपने कहे की आप ही तरदीद क्या करें
अब ज़िक्र मत कर ऐसी मोहब्बत का मेरे यार
थी ही नहीं सिरे से तो तज्दीद क्या करें
क्या क्या न गुल खिलाए गए दरस-गाह में
बू-जहल के मुरीद से उम्मीद क्या करें
कपड़े नए पहन लें मगर 'ईद क्या करें
हम हैं शिकार-गाह में आलम-पनाह की
आलम-पनाह आप की तन्क़ीद क्या करें
सूरज उगा के रख दें क़िले की फ़सील पर
हर रात इक बयान की तरदीद क्या करें
सामान-ए-जाँ समेटें कि इतना नहीं है वक़्त
आँधी को दूर रहने की ताकीद क्या करें
मेरे नहीं सही मगर अच्छे हो सब से तुम
अपने कहे की आप ही तरदीद क्या करें
अब ज़िक्र मत कर ऐसी मोहब्बत का मेरे यार
थी ही नहीं सिरे से तो तज्दीद क्या करें
क्या क्या न गुल खिलाए गए दरस-गाह में
बू-जहल के मुरीद से उम्मीद क्या करें
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