लिखते लिखते हाथ शल हो जाएँगे

By mast-hafiz-rahmaniFebruary 27, 2024
लिखते लिखते हाथ शल हो जाएँगे
दास्ताँ इक हम भी कल हो जाएँगे
शाख़ पर खिलने तो दे इन को सबा
एक दिन ये फूल फल हो जाएँगे


कोई हो अपना बदल मुमकिन नहीं
आप हम अपना बदल हो जाएँगे
आग के दरिया से गुज़रेंगे अगर
शो'ले सारे जल ही जल हो जाएँगे


जब सुनेंगे लोग मरने की ख़बर
ग़म-ज़दा अहल-ए-ग़ज़ल हो जाएँगे
हर्फ़ यक-जेहती पे आएगा अगर
सर-ब-कफ़ अहल-ए-ग़ज़ल हो जाएँगे


38349 viewsghazalHindi