मैं इंसाँ था ख़ुदा होने से पहले अनल-हक़ की अना होने से पहले सिला था उम्र-भर की चाहतों का वो इक लम्हा जुदा होने से पहले न जाने किस क़दर मसरूफ़ होगा तिरा वादा-वफ़ा होने से पहले तू मेरी चाहतों में गुम हुआ है मैं ख़ुशबू था तिरा होने से पहले मिरी गहराइयों में राज़ तेरे मैं बरसा हूँ घटा होने से पहले अदा ये रास आई थी हमें भी नया दिखना नया होने से पहले जलाए रख चराग़-ए-आरज़ू यूँ दुआ पढ़ना दवा होने से पहले ये नग़्मा सा ये 'खुल्लर' शेर तेरा इबादत था अदा होने से पहले