मैं जो भी ज़िंदगी सी कर रहा हूँ

By farhat-ehsasFebruary 6, 2024
मैं जो भी ज़िंदगी सी कर रहा हूँ
बदन की जी-हुज़ूरी कर रहा हूँ
ये साँसें मिलकियत तो मौत की हैं
मुझे लगता है चोरी कर रहा हूँ


बदन का क्या भरोसा कब चला जाए
तभी तो इतनी जल्दी कर रहा हूँ
बहुत तारीख़ का कूड़ा है हर सम्त
मैं दुनिया की सफ़ाई कर रहा हूँ


ख़ुदा रज़्ज़ाक़ है सिर्फ़ इस यक़ीं पर
ये कारोबार-ए-दीनी कर रहा हूँ
तुम्हें क्यों आसमानी लग रही हैं
मैं बातें तो ज़मीनी कर रहा हूँ


जो पक्का दोज़ख़ी है 'फ़रहत-एहसास'
रुला कर कुछ बहिश्ती कर रहा हूँ
60405 viewsghazalHindi