मैं लबादा ओढ़ कर जाने लगा

By sahil-ahmadNovember 15, 2020
मैं लबादा ओढ़ कर जाने लगा
पत्थरों की चोट फिर खाने लगा
मैं चला था पेड़ ने रोका मुझे
जब बरसती धूप में जाने लगा


दश्त सारा सो रहा था उठ गया
उड़ के ताइर जब कहीं जाने लगा
पेड़ की शाख़ें वहीं रोने लगीं
अब्र का साया जहाँ छाने लगा


पत्थरों ने गीत गाया जिन दिनों
उन दिनों से आसमाँ रोने लगा
19264 viewsghazalHindi