मैं ने जब ख़्वाब नहीं देखा था तुझ को बेताब नहीं देखा था उस ने सीमाब कहा था मुझ को मैं ने सीमाब नहीं देखा था हिज्र का बाब ही काफ़ी था हमें वस्ल का बाब नहीं देखा था चाँद में तू नज़र आया था मुझे मैं ने महताब नहीं देखा था वो जो नायाब हुआ जाता है उस को कमयाब नहीं देखा था एक मछली ही नज़र आई मुझे मैं ने तालाब नहीं देखा था