मैं रिफ़अ'तों की अनोखी मिसाल होने लगा

By yawar-azeemFebruary 15, 2022
मैं रिफ़अ'तों की अनोखी मिसाल होने लगा
ये आसमाँ मिरे काँधों की शाल होने लगा
फ़ज़ाएँ गीतों की फ़ुर्क़त में बाँझ होने लगीं
शजर गिरे तो परिंदों का काल होने लगा


घड़ी घड़ी नई बातों की खोज होने लगी
हमारा अह्द मुजस्सम-सवाल होने लगा
वराए-ए-जिस्म जो कुछ फ़ासले थे मिटने लगे
दिल इस अदा से शरीक-ए-विसाल होने लगा


नज़र के चारों तरफ़ रतजगों की बाढ़ लगी
किसी से ख़्वाब में मिलना मुहाल होने लगा
मैं चाहता था कि दुनिया को तेरे जैसा लगूँ
सो तेरे क़ौल-ओ-अमल की मिसाल होने लगा


ज़माने भर के दुखों से रिहाई मिलने लगी
तिरी नज़र का कोई यर्ग़माल होने लगा
इसे हमारी कोई बद-दुआ' लगे न लगे
ख़ुद इस निज़ाम का चलना मुहाल होने लगा


जो अहल-ए-हर्फ़ थे कम कम ही रह गए 'यावर'
हमारे शहर में क़हत-उर-रिजाल होने लगा
97607 viewsghazalHindi