मैं तुम्हारा रहा रात भर

By aadarsh-dubeyApril 20, 2024
मैं तुम्हारा रहा रात भर
कसमसाता रहा रात भर
तुम ने दिल को जलाया बहुत
मैं बुझाता रहा रात भर


ज़ख़्म उभरे थे तन पर मगर
मैं छुपाता रहा रात भर
जिस के आने की उम्मीद थी
वो सताता रहा रात भर


बस तुम्हें भूलने के लिए
ख़त जलाता रहा रात भर
तुम से मिलना बहुत है कठिन
सो भुलाता रहा रात भर


ख़ैर-मक़्दम को तेरे दिया
जगमगाता रहा रात भर
अश्क पानी नहीं थे मगर
मैं बहाता रहा रात भर


दिल में था एक पक्षी तिरा
छटपटाता रहा रात भर
वो मुझे चाहता था बहुत
मैं बनाता रहा रात भर


मैं ही हूँ तेरा इक हम-सफ़र
ये जताता रहा रात भर
बस तुझे देखने के लिए
कसमसाता रहा रात भर


जिस पे हम को बहुत था यक़ीं
वो रुलाता रहा रात भर
ये तो 'आदर्श' भी ना हुआ
कौन आता रहा रात भर


41794 viewsghazalHindi