मैं ज़मीं पर मेरे सर पर आसमाँ टहला किया

By mast-hafiz-rahmaniFebruary 27, 2024
मैं ज़मीं पर मेरे सर पर आसमाँ टहला किया
साथ अपने ले के अपना साएबाँ टहला किया
पास रह कर भी रहे इक दूसरे से अजनबी
ख़ौफ़ सा इक मेरे उन के दरमियाँ टहला किया


तक रही है कितनी हसरत से मिरी जन्नत मुझे
मुझ को जाना था कहाँ और मैं कहाँ टहला किया
लोग आसार-ए-क़दीमा की तरह तकते रहे
लिख के इक तख़्ती पे मैं उर्दू ज़बाँ टहला किया


एक सिगरेट की तरह जब बुझ गई ये ज़िंदगी
'मस्त' यादों का मिरी हर-सू धुआँ टहला किया
69745 viewsghazalHindi