मैं ने लफ़्ज़ों में जो नमी की है

By shafique-saifiFebruary 29, 2024
मैं ने लफ़्ज़ों में जो नमी की है
रो न पाया तो शा'इरी की है
मुझ को क्या करती ज़िंदगी बर्बाद
मैं ने बर्बाद ज़िंदगी की है


कैसी क़िस्मत है मेरी क़िस्मत की
मैं ने नौकर की नौकरी की है
मैं ने माना नहीं बुरा लेकिन
बात तो आप ने बुरी की है


तुम कहीं और बैठ लो जा कर
ये जगह तो 'शफ़ीक़' जी की है
83492 viewsghazalHindi