मंज़र पूरा करने वाला कोई नहीं
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
मंज़र पूरा करने वाला कोई नहीं
भीड़ है लेकिन मरने वाला कोई नहीं
ये लम्हे तेरी क़ुर्बत के लम्हे हैं
इन में आज गुज़रने वाला कोई नहीं
इक तारीख़ रही है उस ख़ामोशी की
कान भी जिस पर धरने वाला कोई नहीं
अन्दर अन्दर काँप रहे हैं दिल में सब
लेकिन पहले डरने वाला कोई नहीं
तुम से जो मंसूब हैं 'शारिक़' आज तलक
वैसी आहें भरने वाला कोई नहीं
भीड़ है लेकिन मरने वाला कोई नहीं
ये लम्हे तेरी क़ुर्बत के लम्हे हैं
इन में आज गुज़रने वाला कोई नहीं
इक तारीख़ रही है उस ख़ामोशी की
कान भी जिस पर धरने वाला कोई नहीं
अन्दर अन्दर काँप रहे हैं दिल में सब
लेकिन पहले डरने वाला कोई नहीं
तुम से जो मंसूब हैं 'शारिक़' आज तलक
वैसी आहें भरने वाला कोई नहीं
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