मसअले हल नहीं हुए मेरे

By bilal-sabirMarch 1, 2024
मसअले हल नहीं हुए मेरे
तुम मुकम्मल नहीं हुए मेरे
जिन पलों के लिए वो मेरा था
बस वही पल नहीं हुए मेरे


क्या करूँगा मैं कल भी दुनिया में
तुम अगर कल नहीं हुए मेरे
मेरे 'आक़िल तो ग़ैर थे लेकिन
मेरे पागल नहीं हुए मेरे


चंद आँखें मिरी हुईं लेकिन
उन के काजल नहीं हुए मेरे
अनगिनत बाग़ मेरे हैं फिर भी
फूल और फल नहीं हुए मेरे


रोज़-ए-अव्वल भी वो बदन छू कर
हाथ क्यों शल नहीं हुए मेरे
लफ़्ज़ चंदन के जैसे भी रख कर
शे'र संदल नहीं हुए मेरे


तू बता तेरे यार तेरे हैं
ठीक है चल नहीं हुए मेरे
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