मौत का दर हुआ है मुझ पर बाज़

By salim-saleemFebruary 28, 2024
मौत का दर हुआ है मुझ पर बाज़
ज़िंदगी बस कि तेरी 'उम्र दराज़
मुझ को मेरी बहुत ज़रूरत है
कर रहा हूँ मैं ख़ुद को पस-अंदाज़


दिल धड़कता है थरथराता हूँ
मेरे अंदर न कोई सोज़ न साज़
अपनी मिट्टी पे मार सज्दा-ए-‘इश्क़
खो गई है जो तेरी जा-ए-नमाज़


शोर ख़ामोशियों का सुनते हुए
ख़ूब ज़ख़्मी हुई मिरी आवाज़
72426 viewsghazalHindi